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निवेदन यह पुस्तक अत्यंत सभ्य व शिष्टाचारी समाज के लिए नहीं है। यह पुस्तक उन लोगों के लिए भी नहीं है जो इस्लामिक आतंकवाद को हर हाल में सपोर्ट और डिफेंड करते हैं। यह पुस्तक उन लोगों के लिए भी नहीं है जो लेखन की विभिन्न कलाओं में विश्वास ना रखकर केवल साहित्यिक भाषा को ही समझते हैं। यह पुस्तक उन लोगों के लिए भी नहीं है जो लेखन में विशुद्ध हिंदी के आग्रही हैं। हालांकि मेरी हिंदी ईश्वर कृपा से बहुत अच्छी है लेकिन मैंने यह पुस्तक आम जन मानस के लिए लिखी है ना कि अपने स्वयं के लिए। यह भारत के लिए है मानवता के लिए है। जैसे एक मुख्यमंत्राइन ने कहा था कि हिंदुओं को हिंसा से बचना है तो वह मुसलमानों के एरिया में न जाएं। जैसे मियां लॉर्ड ने कहा था कि अगर कोई फिल्म देखने से हिंदुओं की भावना आहत होती है तो वह फिल्म देखने जाते ही क्यों हैं? जैसे एक ग्रोसरी वाले चचा ने कहा था कि तुम हिंदू हो और मुसलमानों के मोहल्ले में नहीं घुस सकते वैसे ही मैं इस किताब को पढ़ने वालों से स्पष्ट कहना चाहता हूं कि यह किताब तथ्यों, प्रमाणों व तर्कों (एविडेंस लॉजिक एंड रीजनिंग) के आधार पर लिखी गई है जिसमें कहीं कहीं डार्क कॉमिक टच भी है और इनको समझाने के लिए दिमाग व दिल का सही जगह पर होना बहुत जरूरी है अतः जो लोग आज भी 1400 साल पुराने ख्यालातों में जी रहे हैं उनसे यह निवेदन है कि कृपया पुस्तक से दूर रहे यह पुस्तक आपके लिए बिल्कुल भी नहीं है। -आचार्य अंकुर आर्य
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- Created July 20, 2024
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July 20, 2024 | Edited by TheSkullKnight | Edited without comment. |
July 20, 2024 | Edited by TheSkullKnight | //covers.openlibrary.org/b/id/14647604-S.jpg |
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